मधुमेह रोग का अचूक और आयुर्वेदिक उपचार
मधुमेह रोग में खून में शर्करा स्तर बढ जाता है| भारत में शुगर रोगियों की संख्या में बडी तेजी से वृद्धि देखने में आ रही है।इस रोग का कारण प्रमुख रूप से इन्सूलिन हार्मोन की की गड्बडी को माना जाता है।तनाव और अनियंत्रित जीवन शैली से इस रोग को बढावा मिलता है।
मधुमेह होने के कारण
1. व्यायाम का अभाव
2. मानसिक तनाव
3. अत्यधिक नींद
4. मोटापा
5. चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के अत्यधिक सेवन
6. वंशानुगत कारकों
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मधुमेह के लक्षण
मधुमेह होने के कई लक्षण रोगी को स्वयं अनुभव होते हैं।
1. बार-बार रात के समय पेशाब आते रहना।
2. आंखों से धुंधला दिखना।
3. थकान और कमजोरी महसूस करना।
4. पैरों का सुन्न होना।
5. प्यास अधिक लगना।
6. घाव भरने में समय लगना।
7. हमेशा भूख महसूस करना।
8. वजन कम होना।
9. त्वचा में संRमण होना।
10. मूत्र बार-बार एवं अधिक मात्रा में होना तथा मूत्र त्यागने के स्थान पर मूत्र की
9) सोयाबीन,जौ और चने के मिश्रित आटे की रोटी खावें,इससे शुगर का स्तर कम करने में काफ़ी मदद मिलती है।
10) मांस और वसायुक्त भोजन हानिकारक है।
11) प्रतिदिन २४ घन्टे में ३-४ लिटर पानी पीने की आदत डालें।
12) हरी सब्जीयां,फ़ल और रेशे वाली चीजें भोजन में प्रचुर मात्रा में लें। शकर, मीठे फ़ल से परहेज करें।
13) गरम पानी भरे बर्तन में १०-१५ आम के पत्ते डाल कर रात भर रखें सुबह छानकर पियें मधुमेह का कारगर नुस्खा है|
14) अपनी आयु के हिसाब से २ से ४ किलोमिटर नित्य घूमना जरूरी है
मधुमेह रोग का घरेलु अचूक उपाय :
अगर आप भी मधुमेह से ग्रसित हैं तो आपको एक अच्छे हेल्थ एक्सपर्ट से परामर्श लेकर अपने ब्लड शुगर की जॉंच ज़रुर करवाना चाहिए । जिसके लिए आपको एक अच्छे एक्सपर्ट को तलाश ने जरुरत होगी, लेकिन अब आपको परेशान होने की बिलकुल जरूरत नहीं हैं , क्योंकि आपकी इस समस्या का हल भी आपको ऑनलाइन ही मिल जायेगा |
नीचे दिए गए उपायों को अपनाकर आप मधुमेह से बच सकते हैं ।
1. 3 ग्राम बबुल के शुद्ध गोंद का चूर्ण दूध के साथ खाने से बहोत लाभ मिलता है।
2. बेल के जड़ो को कूटकर चूर्ण बना लीजिये और छानकर रख दीजिये। 1 चम्मच चूर्ण लेकर उसमे आधा चम्मच बेल के पत्तो का रस मिलाकर सुबह खाली पेट और शाम को खाली पेट खानी है। (5 दिन)
3. अमलतास के थोड़े से गुदे को लेकर गरम करे और उसकी मटर के दाने इतनी गोलिया बनाये। 2 गोली सुबह और 2 गोली शाम को खाली पेट लेने से शुगर में आराम होगा।
4. 2 लहसुन की पुत्तियों का रस बेल के पत्तो के रस के साथ सुबह के समय सेवन करने से आराम होता है।
5. 6 ग्राम पाषाणभेद, 40 मिली हरी ताज़ी गिलोय का रस और 6 ग्राम असली शहद के साथ 1 माह तक सेवन करने से शुगर की बीमारी जड़ से मिट जाती है। यह बहुत अनुभवी नुस्खा है जो कई मरीजो पर आजमाया गया तथा सही साबित हुआ। आप भी आजमाकर देखे। परमात्मा ने चाहा तो आपको जरूर लाभ होगा।
मधुमेह का घरेलु उपाय
सामग्री
1- मेथी का दना - 100 ग्राम
2- तेज पत्ता - 100 ग्राम
3- जामुन की गुठली -150 ग्राम
4- बेलपत्र के पत्ते - 250 ग्राम
100 ग्राम मेथी का दाना ले इसे धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
100 ग्राम तेज पत्ता ले इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
150 ग्राम जामुन की गुठली इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
250 ग्राम बेलपत्र के पत्ते लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
तो इन सबका पाउडर बनाकर इन सबको एक दूसरे मे मिला लें ! बस दवा तैयार है !! इसे सुबह -शाम (खाली पेट ) 1 से डेड चम्मच से खाना खाने से एक घण्टा पहले गरम पानी के साथ लें !! 2 से 3 महीने लगातार इसका सेवन करें !! (सुबह उठे पेट साफ करने के बाद ले लीजिये )
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मधुमेह का इलाज मेथी दाना और कलौंजी
कलौंजी और मेथीदाना बराबर मात्रा में थोडा दरदरा (दलिये की तरह) पिसवा लीजिये, दोनों को मिला कर एक कांच की बरनी में सुरक्षित संभाल कर रख लीजिये, रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच ये चूर्ण डाल दीजिये, सुबह इस को पानी से अलग कर के चबा चबा कर खा लीजिये और यही पानी घूँट घूँट कर पी लीजिये। किसी भी लेवल पर शुगर हो यह प्रयोग बहुत कारगर है और मात्र 2-3 महीने में मधुमेह को नियंत्रित करने में सक्षम है।
मधुमेह का इलाज
1. मेथी के दानो से उपचार
एक चम्मच मेथी के दानो को रात को थोड़े से पानी में भिगो कर रख दो फिर सुबह उठ कर पानी को घूट -२ कर के पिए और मेथी के दानो चबा लें। इससे भी आपकी सुगर cure होगी। मेथी के दानों (methi dana )का चूर्ण 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से शरीर में चीनी और कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती जाती हैं। 5 ग्राम मेथी का चूर्ण खाना-खाने के आधा घंटे पहले सेवन करने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है।
2. तुलसी से उपचार
तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इजिनॉल, मेथिल इजिनॉल और कैरियोफ़ैलिन बनता है। ये सारे तत्व मिलकर इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। इससे इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। एक और फ़ायदा ये है कि पत्तियों में मौजूद ऐन्टीआक्सिडन्ट आक्सिडेटिव स्ट्रेस संबंधी कुप्रभावों को दूर करते हैं।
नुस्खा: शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।
3. जामुन से उपचार
जामुन की गुठलियाँ लेकर उनको सुखा लें सूखने के बाद उनको पीसकर चूर्ण बना लें अब एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ ऐसा करने से मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त हो सकती है।
4. करेले से उपचार
करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
5. शिलाजीत से उपचार
मधुमेह रोग में शिलाजीत 3 रत्ती मात्रा में सुबह और रात को सोने से पहले शहद के साथ सेवन करें मधुमेह रोग में बहुत लाभ मिलता है।
मधुमेह के लिए योगा
हर रोज़ 15 मिनट कम से कम योग ज़रूर करे, इसमें भी विशेष 5 मिनट मंडूकासन ज़रूर करे। और कपाल भाति, अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम भी ज़रूर करे।मंडूकासन से पैंक्रियास इन्सुलिन का स्त्राव करना शुरू कर देता हैं जिस से शरीर में फैली ग्लूकोस शरीर के सेल्स ग्रहण कर लेते हैं। और शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल होता हैं।
• सुबह की सैर
सुबह उठ कर पार्क वगैरह पर घूमने जाइए, जितना गति से आसानी से दौड़ लगा सकते हैं दौड़ ज़रूर लगाये। थोड़ी देर कंकर पत्थर वाली जगह पर नंगे पाँव ज़रूर चले। इस से एक्युपंचर होगा, जो मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
• मधुमेह रोग का त्रिफला से उपचार
डायबिटीज या शुगर के इलाज में त्रिफला बहुत प्रभावी औषधि होती है। यह पेन्क्रियाज को प्रभावित करता है, जो रक्त में इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता की मात्रा है और इंसुलिन, शर्करा के स्तर को संतुलित रखता है।
त्रिफला अर्थात तीन फल ! कौन से तीन फल !
1) हरड़ (Terminalia chebula)
2) बहेडा (Terminalia bellirica)
3) आंवला (Emblica officinalis)
एक बात याद रखें इनकी मात्रा हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए ! 1 अनुपात 2 अनुपात 3 !
बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे तीनों की मात्रा बराबर होती है ! बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर मात्रा मे लेना चाहिए !!
इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो 1 :2 :3 मे ही बनवाए !!
सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम , फिर बहेड़ा 200 ग्राम और अंत आंवला 300 ग्राम !!
इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये !! और रात को एक से डेड चमच गर्म दूध के साथ प्रयोग करें !!
3) आंवला (Emblica officinalis)
एक बात याद रखें इनकी मात्रा हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए ! 1 अनुपात 2 अनुपात 3 !
बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे तीनों की मात्रा बराबर होती है ! बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर मात्रा मे लेना चाहिए !!
इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो 1 :2 :3 मे ही बनवाए !!
सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम , फिर बहेड़ा 200 ग्राम और अंत आंवला 300 ग्राम !!
इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये !! और रात को एक से डेड चमच गर्म दूध के साथ प्रयोग करें !!
5. शिलाजीत से उपचार
मधुमेह रोग में शिलाजीत 3 रत्ती मात्रा में सुबह और रात को सोने से पहले शहद के साथ सेवन करें मधुमेह रोग में बहुत लाभ मिलता है।
मधुमेह के लिए योगा
हर रोज़ 15 मिनट कम से कम योग ज़रूर करे, इसमें भी विशेष 5 मिनट मंडूकासन ज़रूर करे। और कपाल भाति, अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम भी ज़रूर करे।मंडूकासन से पैंक्रियास इन्सुलिन का स्त्राव करना शुरू कर देता हैं जिस से शरीर में फैली ग्लूकोस शरीर के सेल्स ग्रहण कर लेते हैं। और शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल होता हैं।
• सुबह की सैर
सुबह उठ कर पार्क वगैरह पर घूमने जाइए, जितना गति से आसानी से दौड़ लगा सकते हैं दौड़ ज़रूर लगाये। थोड़ी देर कंकर पत्थर वाली जगह पर नंगे पाँव ज़रूर चले। इस से एक्युपंचर होगा, जो मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
• मधुमेह रोग का त्रिफला से उपचार
डायबिटीज या शुगर के इलाज में त्रिफला बहुत प्रभावी औषधि होती है। यह पेन्क्रियाज को प्रभावित करता है, जो रक्त में इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता की मात्रा है और इंसुलिन, शर्करा के स्तर को संतुलित रखता है।
त्रिफला अर्थात तीन फल ! कौन से तीन फल !
1) हरड़ (Terminalia chebula)
2) बहेडा (Terminalia bellirica)
3) आंवला (Emblica officinalis) एक बात याद रखें इनकी मात्रा हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए ! 1 अनुपात 2 अनुपात 3 ! बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे तीनों की मात्रा बराबर होती है ! बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर मात्रा मे लेना चाहिए !! इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो 1 :2 :3 मे ही बनवाए !! सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम , फिर बहेड़ा 200 ग्राम और अंत आंवला 300 ग्राम !! इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये !! और रात को एक से डेड चमच गर्म दूध के साथ प्रयोग करें !!
3) आंवला (Emblica officinalis)
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